पंचकुला । 2004 बैच के 38 एचसीएस अधिकारियों को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए हरियाणा सरकार द्वारा उनकी सेवा समाप्ति के लिए जारी नोटिस को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार ने पहले खंडपीठ के समक्ष इन्हें बेदाग बताकर इनकी नियुक्ति की थी और अब इन्हें सेवा समाप्ति का नोटिस कैसे दिया जा सकता है। इंद्रजीत व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए उन्हें जारी सेवा समाप्त करने के नोटिस को चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ताओं ने बताया था कि सरकार ने उन्हें 6 साल की नियमित सेवा के बाद 27 नवंबर 2021 को यह नोटिस जारी किया था। 2004 की एचसीएस भर्ती को लेकर हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में 2016 में माना था कि याचिकाकर्ताओं की उत्तर पुस्तिकाओं में कोई खामी नहीं थी। तब हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार ने उनकी नियुक्ति करने का निर्णय लिया था ।
अब सरकार ने निर्णय लिया कि पूरी भर्ती रद्द कर दी जाएगी। इसी निर्णय के तहत याचिकाकर्ता जिन्हें सरकार के निर्णय व कोर्ट के आदेश से नियुक्ति दी गई थी उन्हें सेवा समाप्त करने का नोटिस जारी कर दिया गया। याची पक्ष ने कहा कि वे भर्ती में बेदाग उम्मीदवार रहे हैं और पूरी भर्ती को रद्द करना उनके साथ अन्याय होगा। ऐसे में कारण बताओ नोटिस न केवल अवैध है, बल्कि हाई कोर्ट के आदेश के विपरीत है। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिकाकर्ताओं को जारी सेवा समाप्ति के नोटिस को रद्द करने का आदेश दिया है।अपने आदेश में जस्टिस एचएस सेठी ने कहा कि इस भर्ती को लेकर केस खंडपीठ के समक्ष विचाराधीन था। उस दौरान सरकार ने खंडपीठ के समक्ष कहा था कि इस भर्ती में 38 आवेदक बेदाग पाए गए हैं। इन आवेदकों को हरियाणा सरकार ने नियुक्ति देने का निर्णय लिया था। अब ऐसे में इन्हें सेवा समाप्ति के लिए नोटिस देना सही नहीं है। सरकार चाहे तो पहले खंडपीठ के समक्ष जाकर स्वीकार करे कि याचिकाकर्ता बेदाग नहीं थे और उस समय सरकार का निर्णय गलत था। इसके बाद यदि खंडपीठ अनुमति देती है तो सरकार इन्हें नोटिस जारी कर सकती है‘खुद सरकार ने कहा कि 38 उम्मीदवार बेदाग हैं’
याची के वकील इंद्र पाल गोयत ने कहा कि कहा कि हाई कोर्ट में खुद सरकार ने 38 उम्मीदवारों को बेदाग व उनकी उत्तर पुस्तिका को सही करार दिया था व उसके आधार पर ही इनकी नियुक्ति दी गई थी। इस मामले में इंद्रजीत व अन्य एचसीएस अधिकारियों ने सरकार के उन्हें नोटिस देने के कदम को आपत्तिजनक, नियमों के खिलाफ तथा अपमानजनक करार देते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी।
64 उम्मीदवारों की याचिका खारिज
हाई कोर्ट ने इसी मामले में उन 64 उम्मीदवारों की याचिका खारिज कर दी है जिन्होंने इस भर्ती में अपना को बेदाग कहते हुए नियुक्ति की मांग की थी। हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार अभी तो नियुक्त 38 बेदाग अधिकारियों को ही दागी करार कर पर उनकी सेवा को समाप्त करना चाहती है जबकि 64 को तो पहले ही दागी करा दिया गया है।