- तीसरी बार फिर से धर्मबीर पर ही भाजपा ने खेला दांव
भिवानी /महेंद्रगढ़ । ग्राम पंचायत में सबसे छोटा चुनाव पंच का होता है। इसी छोटे चुनाव से राजनीति की शुरुआत करने वाला आज देश की सर्वोच्च पंचायत यानी संसद में बैठकर भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र के लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे है। जी हां हम यहां बात कर रहे हैं चौधरी धर्मबीर सिंह की, जिन्होंने राजनीति के अखाड़े में कूदने के बाद प्रदेश व देश की राजनीति में धुरंधर रह चुके राजनेताओं को भी उनके गढ़ में जाकर पछाड़ दिया।
धर्मबीर सिंह अब भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से लगातार दो बार सांसद चुने जा चुके हैं। जो देश की सर्वोच्च पंचायत मानी जानी वाली संसद में बैठकर अपने इलाके की खुशहाली और तरक्की की नई तस्वीर का प्रारूप तैयार कराने में अहम योगदान दे रहे हैं।
भिवानी से महज 25 किलोमीटर दूर जिले के गांव तालू में जन्मे चौ. धर्मबीर सिंह ने अपने ही गांव में पहली बार 1983 में पंचायत चुनाव में पंच का चुनाव जीता था। इसके बाद उनके राजनीतिक सफर ने थोड़ी रफ्तार पकड़ी तो वे 1983 में ही पंचायत समिति के सदस्य बने और फिर बवानीखेड़ा पंचायत समिति के अध्यक्ष की कुर्सी पर भी काबिज हुए।
वे पंचायत समिति अध्यक्ष के पद पर 1987 तक बने रहे। कामयाबी की ओर बढ़ते कदम देखकर इलाके में उनका राजनीतिक कद उस समय बढ़ा जब उन्होंने 1987 में लोकदल पार्टी की टिकट पर पहली बार तोशाम से विधायक बन प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल को 2187 मतों से हरा दिया।
इसके बाद तो प्रदेश की राजनीति में धर्मबीर का नाम शिखर पर आ गया। वर्ष 2000 में कांग्रेस की टिकट पर धर्मबीर तोशाम से ही फिर विधायक चुने गए। फिर उनका विधानसभा क्षेत्र बदल गया। इसके बाद 2005 में बाढड़ा विधानसभा क्षेत्र में भाग्य अजमाया और यहां पर भी कांग्रेस की टिकट से विधायक बन गए।
धर्मबीर के बारे में ऐसा कहा जाने लगा था कि उन्हें जहां से खड़ा कर दो वहीं से वे जीत जाएंगे। इसी को उन्होंने सार्थक भी किया। जब उन्हें 2009 में कांग्रेस ने सोहना तावड़ू विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा। यहां पर भी चौ. धर्मबीर सिंह के सिर पर ही जीत का सेहरा बंधा और वहां से भी विधायक बने। इसके बाद प्रदेश की राजनीति से ऊपर उठकर उनका ध्यान देश की सर्वोच्च पंचायत पर गया।
उन्होंने साल 2014 में भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा की टिकट पर सांसद का चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत भी गए। पहली बार सांसद बने तो उनका राजनीतिक सफर भी प्रदेश से देश की राजनीतिक में सक्रिय नेताओं के रूप में शुरू हो गया। दूसरी बार साल 2019 में भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल की पौत्री पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को हराकर धर्मबीर फिर से सांसद बने। तीसरी बार फिर से धर्मबीर पर ही भाजपा ने दांव खेला है। इन तीनों ही चुनाव में धर्मबीर की टिकट की पैरवी में राव इंद्रजीत सिंह की भूमिका अहम रही है। चौधरी धर्मबीर को राव इंद्रजीत सिंह का करीबी माना जाता है।
हर वक्त लोगों के बीच सक्रिय रहना और केसरिया रंग पसंद
धर्मबीर सिंह को हर वक्त लोगों के बीच रहना और केसरिया रंग के कपड़े पहनना पसंद है। उनके नजदीकी एक कार्यकर्ता ने बताया कि धर्मबीर सिंह हमेशा केसरिया रंग के ही कपड़े पहनते हैं, उनके लिए ये रंग काफी शुभ रहा है। उन्होंने पहली बार अपने ही गांव में पंच बनकर राजनीति में पदार्पण किया था, आज वे सबसे बड़ी पंचायत के सदस्य हैं।
वोटरों से भी सांसद ने की अपील
सांसद धर्मबीर सिंह ने बताया कि पंचायत चुनाव लोकतंत्र का उत्सव है। पंचायत चुनाव से ही गांव, प्रांत और देश की राजनीति तय होती है। इसलिए पंचायत चुनावों में सभी को मतदान करना चाहिए। खासतौर पर युवाओं को राजनीति में आगे आने के साथ साथ मतदान के प्रति भी सजग रहना चाहिए। लोकतंत्र की मजबूती हम सबकी मतदान के प्रति जागरूकता से ही संभव है।