बीरबल के छत्ते के जल्द बहुरेंगे दिन : नारनौल में मरम्मत का 90 प्रतिशत कार्य पूरा, 3 करोड़ रुपए से हो रहा काम

नारनौल । हरियाणा के नारनौल में प्रदेश की शानदार धरोहर बीरबल के छत्ता के दिन अब बहुरने वाले हैं। आने वाले समय में बीरबल का छत्ता नारनौल का ताजमहल कहलाएगा। इसकी मरम्मत का कार्य एक साल से चल रहा है। यह कार्य करीब 80 प्रतिशत पूरा भी हो चुका है। मरम्मत के काम के चलते फिलहाल इसको आम जनता के लिए बंद किया हुआ है।

इस काम के फेज में करीब तीन करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। दीवारों को मजबूत करने के लिए मध्यप्रदेश के कटनी की पहाड़ियों का स्पेशल चूना मंगवाया गया है। लाइम, गुड़, सीरा दाल, बेलगिरी गोंद सहित बेहतरीन सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐतिहासिक धरोहरों की मरम्मत कर रहे विशेषज्ञों द्वारा इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि पिछले 40 साल में पहली बार इस धरोहर की सुध ली गई है।

इस भवन की मरम्मत का चल रहा काम।

इस भवन की मरम्मत का चल रहा काम।

करीब एक साल पहले पुरातत्व विभाग द्वारा शहर की ऐतिहासिक इमारतों की मरम्मत के लिए करीब पांच करोड़ रुपये का बजट पास हुआ। इसमें करीब तीन करोड़ रुपये बीरबल के छत्ते पर तो 1 करोड़ 95 लाख रुपए अलीजान की बावड़ी की मरम्मत करने के लिए स्वीकृत कर लिए गए। एक साल पूर्व ही इन दोनों धरोहरों की मरम्मत का कार्य भी शुरू कर दिया गया है। इनमें बीरबल के छत्ते का काम करीब 80 से 90 प्रतिशत पूरा हो गया है।

शाहजहां के शासन काल में बना था

बीरबल के छत्ता का निर्माण नारनौल के मनसबदार राय बालमुकुंद दास ने बादशाह शाहजहां के शासन काल (एडी 1628-58) के दौरान करवाया था। इस चार मंजिला इमारत में कई हाल, कमरे और खुला प्रांगण है। अंदरूनी साज-सज्जा पर बहुत ज्यादा मेहनत की गई है। बेसमेंट में भी सूर्य किरणें पड़ती हैं, जो कि अपने आप में इंजीनियरिंग का बड़ा कमाल है।

सुधार के बाद आमजन के लिए खोला जाएगा।

सुधार के बाद आमजन के लिए खोला जाएगा।

इसी में सेंट्रल कोर्ट, मार्बल फाउंटेन, रानी निवास, अंदरुनी फर्श के साथ ही अंडरग्राउंड गुफा और इनमें रोशनी की व्यवस्था भी की हुई थी। वर्तमान में इसी अधिकांश छत गिर चुकी हैं, जिनको दोबारा से ठीक किया जाएगा। भारी गंदगी से भरा हुआ था। दोनों गुफाएं दिल्ली और जयपुर की ओर जाती हैं।

हालांकि अभी तक इन गुफाओं को वर्तमान पीढ़ी ने नहीं देखा है, क्योंकि अंदर की गंदगी और जहरीले जीव जंतुओं का इनमें साम्राज्य है। इसके साथ ही गुफाएं लगातार बंद रहने से इनमें जहरीली गैस बनने की आशंका भी है।

चमगादडों का था कब्जा, काम में हो रही परेशानी

बीरबल छत्ता के अंदर कचरे और चमगादड़ों के शोच की अधिकता की वजह से इस कार्य में तेजी आने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है। इसके अंदर बहुत ही ज्यादा बदबू बनी हुई थी। इसकी सफाई की गई और फव्वारे भी सुधारे गए।

इस इमारत को मिला संरक्षण का दर्जा।

इस इमारत को मिला संरक्षण का दर्जा।

इंजीनियरिंग का विशेष नमूना है बीरबल का छत्ता

यह भवन सामान्य नहीं है। इसमें बनाए गए फव्वारे बहुत ही उन्नत तकनीके साथ चलाए जाते थे, वह भी कुएं के पानी से। इसके पहले फेज में छत्ते की दीवारों को मजबूत करने का कार्य किया गया है। इस धरोहर का ढांचा बहुत ही मजबूत है। समय के साथ जोड़ कमजोर हो गए थे। इनको भरकर मजबूत किया जा रहा है। पिछले कई दशकों के बाद इसकी मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है।

इस बारे में इंटेक के कनवीनर रतन लाल सैनी ने बताया कि ऐतिहासिक धरोहरों की मरम्मत का कार्य बहुत ही बारिकी से किया जाता है। हमारा प्रयास है कि इसे शाहजहां के जमाने वाला वहीं स्वरूप दिया जाए, ताकि आज की पीढ़ी को इस बेहतरीन इंजीनियरिंग नमूने को करीब से देखने और समझने का मौका मिल सके। इसकी मरम्मत के कार्य में लाइम, बेलगिरी गोंद, चूना इस्तेमाल किया जा रहा है।

इसके अलावा मध्यप्रदेश के कटनी से स्पेशल पत्थर का चूना मंगवाया जा रहा है। यह सामग्री छत्ते की दीवारों को मजबूत करने का कार्य करेगी। सामान्य पुताई वाला चुना जल्दी उतर जाता है। हम हैरिटेज का ही कार्य करते हैं। अब मशीनों से मसाला बनाने लगे हैं।

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