महेंद्रगढ । हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ में संस्कृत विभाग व संस्कृतभारती के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित “विश्वसंस्कृतसप्ताह” का समापन हो गया। इस विश्व संस्कृत सप्ताह में संस्कृतसंभाषण, प्रश्नमंच आदि विविध गतिविधियों का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने समापन समारोह में दीपप्रज्वलन करते हुए विश्वसंस्कृतसप्ताह के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए विभाग को बधाई दी तथा संस्कृत भाषा के महत्व से सभी को अवगत कराया। विश्वविद्यालय की सम-कुलपति प्रो. सुषमा यादव ने अपने उद्बोधन में संस्कृत में निहित ज्ञानराशि को अन्य विषयों के साथ जोड़कर शोध करने पर बल दिया। उन्होंने बताया कि पाणिनीय व्याकरण का संगणकीय दृष्टि से अध्ययन करना महत्त्वपूर्ण है ।
कार्यक्रम की मुख्यातिथि पद्मश्री आचार्या सुकामा ने अपने वक्तव्य में संस्कृत भाषा में निहित नैतिक-मूल्यों को बताते हुए भारत के विश्वगुरु होने का आधार संस्कृत को बताया तथा भविष्य में भी भारत के विश्वगुरु होने के लिए संस्कृत को आवश्यक बताया। इसी क्रम में विशिष्टातिथि प्रो. यशवीर सिंह ने अपने उद्बोधन में बताया कि संस्कृत में निहित ज्ञान-विज्ञान से अब पूरा विश्व परिचित है और जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान के नारे को सशक्त करने में संस्कृत की मुख्य भूमिका है तथा संस्कृत में निहित ज्ञान वर्तमान में भी संसार के लिए लाभकारी सिद्ध हो रहा है। उन्होनें एकसाथ मिलकर सभी को संस्कृत के लिए कार्य करने की प्रेरणा
कार्यक्रम में मंच संचालन विभागीय शिक्षक डॉ. देवेन्द्र सिंह राजपूत द्वारा किया गया व अन्त में कार्यक्रम संयोजिका संस्कृत विभाग प्रभारी डॉ. सुमन रानी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया। कार्यक्रम में संस्कृत विभाग के छात्रों द्वारा नृत्य, स्तोत्रपाठ व गीत-गायन आदि सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने समारोह को मनोरम बनाया। इस समापन समारोह में संस्कृत विभाग के शिक्षक सुमित शर्मा व अर्चना तथा अन्य विभागों से डॉ. अजयपाल, डॉ. नवीन, डॉ. नीलम, डॉ. खैराज, डॉ. कमलेश, डॉ. सिद्धार्थ शंकर एवं संस्कृतभारती के प्रान्त सम्पर्क प्रमुख अशोक शर्मा बुचौली इत्यादि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे तथा संस्कृत, योग, हिन्दी व अन्य विभागों के विद्यार्थियों व शोधार्थियों ने भी समारोह में हिस्सा लिया।