बहादुरगढ़ नागरिक अस्पताल मे रिश्तेदारों को नौकरी पर दिखाकर बड़े गड़बड़ झाले की बात आई सामने, अस्पताल के अधिकारियों, कर्मचारियों में मचा हड़कंप

बहादुरगढ़। अव्यवस्थाओं के लिए सुर्खियों में रहने वाले बहादुरगढ़ के सरकारी अस्पताल में बड़े गड़बड़ झाले की बात सामने आई है। हरियाणा कौशल रोजगार निगम से मामला जुड़ा हुआ है। यहां के मेडिकल ऑफिसर द्वारा एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ दी गई शिकायत के बाद मामला प्रकाश में आया है। जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। असल हकीकत तो जांच पूरी होने के बाद ही सामने आ पाएगी लेकिन मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। अस्पताल के अधिकारियों, कर्मचारियों में हड़कंप मचा है।

अस्पताल में तैनात डीएमएस स्तर के एक अधिकारी पर धमकी देने, परेशान करने आदि आरोप लगे हैं। गड़बड़झाले के इशारे सीधे तौर पर इन्हीं की तरफ हैं। शिकायत में कहा गया है कि उनके कार्यालय की ओर से 19 ऐसे लोगों का नाम योजना के तहत दर्ज करके वेतन वसूला जा रहा है, जो अस्पताल में काम ही नहीं करते। इनमें कई ऐसे हैं, जिनकी उपस्थिति स्वास्थ्य विभाग के निर्धारित पोर्टलों पर साथ-साथ दर्ज नहीं की गई। कौशल रोजगार योजना के तहत जिन लोगों के नाम से सरकारी खजाने से वेतन जा रहा है, उनमें कई तो संबंधित अधिकारी के साथ काम कर रहे डाटा एंट्री ऑपरेटर के रिश्तेदार बताए हैं। इन लोगों में एक कर्मचारी की मां का नाम सफाई कर्मचारी के तौर पर, उसी के पिता और बहन का नाम भी सुरक्षा गार्ड के तौर पर दर्ज है। एक ही परिवार के कई लोगों के नाम एक ही संस्थान में कर्मचारी के तौर पर दर्ज करना और उनके नाम से कौशल रोजगार योजना के तहत वेतन वसूलना खुद ही सवालों के घेरे में आ गया है। कई अन्य व्यक्तियों का नाम ऑपरेटर, मिस्त्री , वार्ड सर्वेंट, कारपेंटर, व इलेक्ट्रॉनिक सहायक के तौर पर दर्ज किया गया है। इन कर्मचारियों की हाजिरी भी कई-कई माह से दर्ज नहीं की गई। हैरानी भरी बात ये कि कथित फर्जी कर्मचारियों की हाजिरी दिखाने के लिए बायोमेट्रिक मशीन भी बदल दी गई।

दरअसल, इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब वर्ष 2022 में चुनाव के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ी। शिकायतकर्ता चिकित्सा अधिकारी को निर्चाचन अधिकारी ने चुनाव में कर्मचारी उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। उन्होंने कर्मचारियों की सूची मांगी तो बहुत मुश्किल से उपलब्ध हुई और मिली तो सूची में लिए नामों में से 19 कर्मचारी नहीं मिले। इन्होंने कभी अस्पताल में काम नहीं किया। जांच से मामला पुख्ता होता गया, यानी इन सभी के नाम से सरकारी खजाने को लाखों रुपये की चपत लगाई जा रही है। चिकित्सा अधिकारी ने इस मामले की शिकायत अस्पताल की प्रधान चिकित्सा अधिकारी से की है।

डीएचएस सिविल सर्जन झज्जर और राज्य की स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. जी.अनुपमा को भी शिकायत की प्रति भेजी गई है। इस विषय पर अस्पताल के अधिकारी बोलने से बच रहे हैं। खुद शिकायतकर्ता भी मीडिया के सामने खुलकर नहीं आ पा रहें। केवल विभागीय स्तर पर जांच होने का इंतजार कर रहे हैं।

मामला जांच का विषय है। इसके लिए जांच कमेटी गठित कर दी गई है। जांच रिपोर्ट गोपनीय रहेगी और उच्चाधिकारियों को प्रेषित कर दी जाएगी

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