- कांग्रेस से तीन व भाजपा से दो चेहरे तैयारियों में जुटे, भाजपा में एक जनसंवाद तो दूसरा जिला स्तर की रैली के बहाने लोगों से बढ़ा रहा नजदीकियां
- कांग्रेस से पूर्व सांसद श्रुति चौधरी कर चुकी है पहले ही चुनाव कांग्रेस पार्टी से लड़ने का ऐलान
- कांग्रेस से ही पूर्व विधायक राव बहादुरसिंह को नहीं मिली तो निर्दलीय या फिर जेजेपी पार्टी से चुनाव लड़ने की संभावना
नारनौल । लोकसभा चुनाव निकट भविष्य में होने तय है। इसकी चुनावी बिसात अभी से बिछनी शुरू हो गई है। अभी तक पांच चेहरे इस सीट पर सांसद बनने की चाह मन में पाले हुए जनता के बीच समय गुजारने लगे है। जिनमें दो चेहरे भाजपा और तीन चेहरे कांग्रेस से जुड़े नेताओं के सामने आ रहे है। पहले बात भाजपा से जुड़े इन नेताओं की बात करें तो पिछली दो योजनाओं से लगातार सांसद रहे चौधरी धर्मबीरसिंह तीसरी पारी खेलने की तैयारी में है। इन दिनों जिला के गांवों में जनसंवाद के बहाने जनता से मेल-मिलाप बढ़ा रहे है।
नाम नांगल चौधरी विधायक डा. अभयसिंह यादव का सामने आ रहा है। हालांकि अभी तक उन्होंने खुलकर नहीं कहा है लेकिन मन में जरूर उनके सांसद बनने की सोच पनप रही है। इसी कारण पहली बार खुद के हलके से बाहर निकल जिला स्तर की रैली करने की घोषणा की है। दिसम्बर माह की 10 तारीख को वह जिला के सेंट्रल एरिया दौंगड़ा अहीर में जन विश्वास रैली करने जा रहे है। यह रैली उन्हें सांसद बनने की राह में कितनी सफल साबित होगी, यह भविष्य में गर्भ में है। हां, इतना जरूर है कि नांगल चौधरी सहित पूरे जिला में विकास कार्य करवाने की सोच को आम लोगों तक पहुंचाने में कहीं ना कहीं अभी तक वह कामयाब रहे है। उनकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीतसिंह व जिला के ही भाजपा के वरिष्ठ नेता, मंत्री व विधायक ही बने हुए है।
अब जहां हम कांग्रेस पार्टी से जुड़े नेताओं की बात करें तो सबसे पहला नाम पूर्व सांसद श्रुति चौधरी का ही आता है। हालांकि उनको टिकट मिलने में सबसे बड़ा रोड़ा विधायक राव दानसिंह व पूर्व विधायक राव बहादुरसिंह ही बने है। हाल फिलहाल श्रुति की माताश्री किरण चौधरी की मजबूत पकड़ सोनिया गांधी तक है, ऐसे में संभावना कम ही है कि श्रुति की टिकट कट सके। फिर भी श्रुति चौधरी की लगातार दो बार इस सीट पर हार के आंकड़े लेकर राव दानसिंह अपने नजदीकी पूर्व सीएम चौधरी भूपेंद्रसिंह हुड्डा के सहारे खुद की नैया पार करने का प्रयास करने में जुटे है।
वहीं दूसरी ओर पूर्व विधायक राव बहादुरसिंह भी पीछे नहीं है। वह इस सीट पर साल 2014 में चुनाव लड़ चुके है। उस वक्त वह दूसरे नंबर पर रहे और पौने तीन लाख वोट हासिल किए जोकि कुल मतदान का 26.70 फीसदी था। इन्हीं आंकड़ों और खुद की शिक्षण संस्थान यदुवंशी का जिला ही नहीं आस-पास के अन्य जिलों में विस्तार कर मजबूत पकड़ बनाने में जुटे है। उन्होंने तो यहां तक ऐलान कर दिया है कि प्राथमिकता कांग्रेस टिकट की रहेगी। अगर नहीं मिलती है तो निर्दलीय ही चुनाव लड़ेंगे। हालांकि राजनीति में रूचि रखने वाले लोगों का तर्क है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा व जेजेपी एक साथ लड़ी तो भी इस सीट पर जेजेपी हक जमाएंगी। अलग-अलग लड़ी तो भी संभावना है कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर राव बहादुरसिंह पुराने घर में वापसी कर जेजेपी से चुनाव लड़ सकते है। हालांकि यह अधिकारिक पुष्टि नहीं है, सिर्फ चर्चाओं में यह बात सामने आई है।