कल से देव करेंगे शयन, नवंबर से होगा मंगल कार्यों का शुभारंभ

  • विवाह के लिए अब करना पड़ेगा लंबा इंतजार, 4 मास तक रहेगी रोक

सतनाली, कानोड़ न्यूज । शुभ मुहूर्त के बाद भी किसी कारणवश विवाह से वंचित रहने वाले नवयुवक व नवयुवतियों को विवाह के लिए इस बार लंबा इंतजार करना पड़ेगा। ज्योर्तिविद पं. कृष्ण कुमार शर्मा नांवा ने बताया 10 जुलाई से देव शयनी एकादशी है अर्थात श्री हरि 10 जुलाई को शयन मुद्रा में आ जाएंगे और इस दौरान विवाह-शादी व अन्य शुभ कार्य वर्जित माने गए है।

उन्होंने बताया कि आषाढ़ महीने की शुक्ला एकादशी को भगवान विष्णु चार मास के लिये शयनमुद्रा में चले जाते हैं। इसलिये इसे देवशयनी एकादशी भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि 4 नवम्बर को भगवान विष्णु शयनमुद्रा से बाहर आ जाएंगे।

उन्होंने बताया कि वैसे तो श्री हरि की शयन अवधि चार मास की होती है और इसके उपरांत शुभ कार्य आरंभ हो जाते हैं लेकिन इस बार शुक्र ग्रह अस्त के चलते 26 नवम्बर तक विवाह-शादी वर्जित माने गए है। इस तरह से विवाह से वंचित रहने वाले नवयुवक व नवयुवतियों को विवाह के लिए इस बार लगभग 5 माह का लंबा इंतजार करना पड़ेगा।

26 नवंबर के बाद होंगे विवाह शुरू

शर्मा नांवा ने बताया कि देवशयनी एकादशी के बाद चार महीने शादियों और मांगलिक कार्यक्रमों पर रोक लगी रहती है। उन्होंने बताया कि वैसे तो देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं लेकिन इस बार शुक्र ग्रह अस्त के चलते शास्त्रानुसार 26 नवम्बर तक विवाह-शादी वर्जित माने गए है।

इस तरह से विवाह से वंचित रहने वाले नवयुवक व नवयुवतियों को विवाह के लिए इस बार लगभग 5 माह का लंबा इंतजार करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि 4 नवंबर को देवउठनी एकादशी है और इस दिन स्वयंसिद्ध अभिजीत मुहूर्त बन रहा है। बताया जाता है कि इस दिन अति आवश्यक होने पर बिना पंचांग और मुहूर्त देखे शादियां हो सकती हैं।

आदर्श दांपत्य जीवन के लिए शुक्र का उदय होना जरूरी
शर्मा नांवा ने बताया कि शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यक्रमों में ग्रह-नक्षत्र की स्थिति का विचार किया जाता है। उन्होंने बताया कि आदर्श दाम्पत्य जीवन के लिए शुक्र का उदय होना जरूरी है। उन्होंने बताया कि विवाह के मुहूर्त हमेशा शुक्र और गुरु तारा की स्थिति को देखकर ही निश्चित किए जाते हैं। अगर ये तारे अस्त हैं तो उस स्थिति में कोई भी विवाह के लिए शुभ मुहूर्त नहीं निकलता और विवाह जैसे मांगलिक कार्य हमेशा दोनों के उदय होने पर ही किए जाते हैं।

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