- तपस्या स्थल के चारों तरफ की परिक्रमा करने से व्यक्ति के जन्म जन्मांतर, सातों जन्मों के कष्ट कट जाते हैं
महेंद्रगढ़ @ कानोड़ न्यूज । महेंद्रगढ़ में विश्व शांति एवं मानव कल्याण की भलाई के लिए शहर की दोहान नदी के मध्य स्थित मौदा आश्रम व करंट बालाजी मंदिर के पास 84 धूनियों के बीच एक संत अपनी तपस्या में लीन हैं।
महाराज नरेंद्र गिरी ने बताया कि वे विभिन्न स्थानों पर गर्मियों के दिनों में 14 बार धूनी व शीतकाल में 13 बार जल धारा तपस्या कर चुके हैं। तपस्या स्थल पर महाराज के चारों ओर उपलों की 84 धूनियां बनाई गई हैं, जिसके बीच मे बैठकर महाराज अपनी तपस्या में लीन हैं। यह तपस्या 41 दिन तक चलेगी, जिसमें दिन प्रतिदिन अग्नि को तेज करने के लिए उपलों की संख्या बढ़ा दी जाती है।
तपस्या में लीन नरेंद्र गिरी हर साल इस तरह का तप करते हैं।
तपस्या का समापन यज्ञ एवं भंडारे से होगा
महाराज ने बताया विश्व की मंगल कामना एवं शांति के लिए इस प्रकार की तपस्या करते रहते हैं। इस तपस्या की शुरुआत 29 अप्रैल से की गई है, जो 41 दिन जारी रहेगी। इस भक्ति कार्यक्रम का समापन यज्ञ व भंडारे के साथ किया जाएगा। इस मौके पर उपस्थित विश्वेश्वर गिरी महाराज ने बताया कि यह जो 84 धूनियों की तपस्या होती है, वह प्राचीन परंपरा शलजम महादेव के द्वारा चलाई हुई है।
ज्येष्ठ माह के समय में सारे देवता धरती पर भ्रमण करते हैं। इसलिए तपस्या को महत्व दिया गया है। जो भी व्यक्ति मनोकामना लेकर इसके चारों तरफ परिक्रमा करता है, उसके जन्म जन्मांतर, सातों जन्मों के कष्ट कट जाते हैं। इसलिए इस तपस्या का अहम महत्व होता है।