संयुक्त राष्ट्र ने यूक्रेन में संघर्ष के दौरान बच्चों के अधिकारों के हनन, उनकी जान लेने, स्कूलों तथा अस्पतालों पर किए गए हमलों को लेकर रूसी सेना को अपनी वार्षिक काली सूची में डाल दिया है। द एसोसिएटेड प्रेस को बृहस्पतिवार एक नयी रिपोर्ट से यह जानकारी मिली। विश्व निकाय के महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने सुरक्षा परिषद को दी गयी रिपोर्ट में कहा कि वह वर्ष 2022 में यूक्रेन में बच्चों के खिलाफ ”गंभीर उल्लंघन” के मामलों की बड़ी संख्या से ”स्तब्ध” हैं। उनके अनुसार, विद्यालयों और अस्पतालों पर हुए ताबड़तोड़ हमलों की संख्या से वह ”हैरान” हैं, बच्चों को हिरासत में लिए जाने को लेकर वह ”चिंतित” हैं और कुछ यूक्रेनी बच्चों को रूस ले जाए जाने को लेकर ”परेशान” हैं।
हालांकि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने पिछले वर्ष 1,139 फलस्तीनी बच्चों के खिलाफ गंभीर उल्लंघन के मामलों को लेकर इजराइल को काली सूची में नहीं डाला है। इनमें 54 बच्चों की मौत के मामले भी हैं। बहरहाल, उन्होंने सशस्त्र संघर्ष में बच्चों के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत वर्जीनिया गाम्बा के साथ इजराइल की बातचीत तथा बच्चों की सुरक्षा के लिए ” संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावित उपायों सहित विभिन्न व्यावहारिक उपायों की पहचान” का स्वागत किया है। संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन के राजदूत, रियाद मनसौर ने संवाददाताओं से कहा कि गुतारेस ने इजराइल के इतिहास की सबसे कड़े रुख वाली सरकार को काली सूची में ना डालकर ”बहुत बड़ी गलती” की है। उन्होंने कहा, ”यह फलस्तीनी लोगों और बच्चों के लिए बहुत निराशाजनक है।”
व्यापक रिपोर्ट में महसचिव ने कहा कि पिछले वर्ष संघर्ष के कारण बच्चे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने, एक क्षेत्र और 24 देशों में 13,469 बच्चों के विरुद्ध गंभीर उल्लंघन की पुष्टि की है। इनमें 2,985 बच्चों की मौत के मामले भी शामिल हैं। ”गंभीर उल्लंघनों” में लड़ाकों द्वारा बच्चों और किशोरों की भर्ती तथा उनका उपयोग, उन्हें चोट पहुंचाना, उन्हें मार डालना, उनके खिलाफ यौन हिंसा, अपहरण और स्कूलों एवं अस्पतालों पर हमले शामिल हैं। गुतारेस ने कहा कि संघर्ष का दायरा व्यापक हुआ है और कई नये क्षेत्र इसकी गिरफ्त में आए हैं। उन्होंने कहा कि म्यामां में घोर उल्लंघनों के मामले 140 फीसदी और दक्षिण सूडान में 135 फीसदी बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि अलकायदा और इस्लामिक स्टेट सहित सशस्त्र समूहों की गतिविधियों में भी तेजी आई है जिससे केंद्रीय साहेल, खास तौर पर बुर्किना फासो में हालात और अधिक बिगड़ गए हैं। इन कारणों के चलते वहां बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन 85 फीसदी तक बढ़ा है।
महासचिव के अनुसार, कोलंबिया, इजराइल, फलस्तीनी भूभाग, लेबनान, लीबिया, माली, नाइजीरिया, सूडान और सीरिया में भी हिंसक गतिविधियों में तेजी आई है। बच्चों के संदर्भ में चिंताजनक स्थिति वाले देशों की सूची में दो देशों- हैती और नाइजर के नाम भी इस रिपोर्ट में जोड़े गए हैं। गुतारेज ने कहा कि रूसी सशस्त्र बलों और उनसे संबद्ध सशस्त्र गुटों ने स्कूलों तथा अस्पतालों पर 480 से अधिक हमले किए हैं। इन हमलों में तथा शहरों और कस्बों में की गई गोलाबारी एवं हवाई हमलों में बड़ी संख्या में बच्चे मारे गए हैं। महासचिव ने रूसी बलों से अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने और बच्चों की रक्षा करने की उनकी प्रतिबद्धता का पालन करने का आग्रह किया है।
NEWS SOURCE : punjabkesari