संसार में रहो, किंतु संसार तुम्हारे अंदर न आए : शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती

  • शिवरतन मेहता के निवास पर धर्मप्रेमियों को दिया धर्म संदेश एवम प्रश्नों के उत्तर

महेन्द्रगढ़, विनीत पंसारी । महेंद्रगढ़ ज्योतिषपीठ के जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने हरियाणा मंगल यात्रा के दौरान शिवरत्तन मेहता के निवास पर धर्मप्रेमियों को संबोधित करते हुए कहा कि संसार में रहो, किंतु संसार तुम्हारे अंदर न आए । अपने आप को अंदर से ठोस बनाओ। अंदर खोखलापन नही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैसे बांस पानी तैरता है उसी प्रकार संसार सागर में डूबो मत। धार्मिक आचरण करते रहो। मै जिस गद्दी पर विराजमान हूं उसके क्षेत्र में 12 राज्य आते है। अपने क्षेत्राधिकार को देखने के लिए ही हरियाणा का दौरा किया।

उन्होंने कहा कि इतने राज्यों में सबसे पहले मैने हरियाणा को इसलिए चुना क्योंकि इस राज्य के नाम मे हरि का नाम है और हरी के आने के बारे में बताया गया है। जिसकी वजह से सर्वप्रथम मैने हरियाणा का चयन किया। गुरुजी ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सनातन धर्म सबसे पुराना है। इसके शुरुआत की न कोई तिथि है और ना ही इसके अंत की कोई तिथि है। उन्होंने कहा कि हमारे धर्म का नाम सनातन इसलिये है जो चीज सदा रहती है या सदा रहने का बोध करवाती है।

इस अवसर पर संजय अग्रवाल पाली, रमा अग्रवाल, शिव रतन मेहता, अर्चना मेहता, सुरेंद्र बंटी, कमल गोयल, मुकेश मेहता, मनोज गोयल गुडियानिया, विनोद तंवर पाली, दिलीप गोस्वामी, राकेश अग्रवाल, अशोक बंसल, गोपेश मेहता, विवेक मेहता, पवन गुप्ता, एपी मेहता, जयकिशन शर्मा, कवर्धा से आनंद उपाध्याय, अलवर धर्मांसद प्रणय स्वामी, संदीप चौधरी, भाई अश्वनी सहित आयोजन समिति के अनेक सदस्य व गणमान्य लोग मुख्य रूप से मौजूद रहे।

Leave a Reply

Show Buttons
Hide Buttons
error: Content is protected !!