चंडीगढ़ । हरियाणा में 40 हजार बुजुर्गों ने पेंशन लेने से मना कर दिया। इससे सरकार को लगभग 100 करोड़ रुपये बचे हैं। अब इस राशि को सेवा आश्रम के निर्माण के लिए दिया जाएगा। यह खुलासा खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बुजुर्गों से संवाद के दौरान किया। मुख्यमंत्री ने उन वरिष्ठ नागरिकों से बात की है, जिन्होंने वृद्धावस्था भत्ते का पात्र होते हुए भी उसे लेने से इन्कार कर दिया है। गौरतलब है कि पिछले नौ साल में सरकार ने 3.67 लाख फर्जी लाभार्थी पकड़े थे, जिससे सरकार को 7822 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
सीएम ने कहा कि हरियाणा में अब वृद्धावस्था पेंशन के लिए धक्के खाने की जरूरत नहीं है, बल्कि परिवार पहचान पत्र के आधार पर घर बैठे ही प्रो-एक्टिव मोड में करने के बाद 60 साल की आयु होने पर पेंशन बन जाती है। हालांकि, इससे पहले बुजुर्गों की सहमति ली जाती है कि वह पेंशन लेना चाहते हैं या नहीं। मुख्यमंत्री वरिष्ठ नागरिकों से अपील की है कि जो शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं वो प्रहरी योजना के साथ जुड़कर समाज कल्याण में अपना योगदान दे सकते हैं। डायल 112 पर फोन कर वॉलंटियर के रूप में रजिस्टर कर सकते हैं।
14 जिलों में बनेंगे बजुर्गों के लिए सेवा आश्रम
सीएम ने कहा कि हरियाणा सरकार ने बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए वित्तीय वर्ष के बजट में 80 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों के लिए प्रहरी योजना शुरू की है। इसके साथ ही अकेले रह रहे बुजुर्गों की देखभाल एवं वरिष्ठ नागरिक सेवा आश्रम रेवाड़ी में खोला गया है। ऐसा ही आश्रम करनाल में निर्माणाधीन है, इसके अलावा 14 अन्य जिलों में भी इसके लिए भूमि की पहचान की गई।
परिवार पहचान पत्र के डेटा से पता चला है कि प्रदेश में 80 वर्ष से अधिक आयु के 3 लाख 30 हजार बुजुर्ग हैं। इनमें से 3600 बुजुर्ग तो ऐसे हैं, जो अकेले रह रहे हैं। ‘प्रहरी‘ योजना में इन बुजुर्गों की कुशलक्षेम जानने के लिए सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलेंगे। यदि किसी बुजुर्ग को चिकित्सा सहायता, संपत्ति की सुरक्षा अथवा किसी अन्य मदद की जरूरत होगी, तो संबंधित सरकारी विभाग के माध्यम से उसकी मदद की जाएगी।